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Hindi poems
@soul_s_sound 

welcome vicarious readers, this section is specially made for the one interested in poetries and stanzas. I'm here to help you discover a new world of poetries, where mind, soul and words meet. let's get on the journey together. various new creations are waiting for you.....

1. धर्म या अधर्म

विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य भारत की ही देन थी

व्यास था रचनात्मक, वरदान उसकी लेन थी ||

ना देव ना ही दुष्ट कोई, समान सबका कर्म था

छल, कपट, ईर्ष्या, द्वेष, दाओं पे लगा धर्म था ||

द्रोण के सर यूं तो पार्थ का सुरूर था

पार्थ से भी श्रेष्ठ बालक द्रोण को ना  मंजूर था ||

ना जेष्ठ का सम्मान हुआ, यहाँ स्त्री का अपमान हुआ

चोरस में हारे पांडव और बलहीन अर्जुन का कमान हुआ ||

अनुज का उपहास किया, पांचाली का वो कथन था

प्रतिशोध की आग में जल के किया चीर हरण था ||

बैठी थी सभा वो मौन जब हुआ था अनर्थ ये

शांति वो कर गयी सबको गुनाह के समर्थ में ||

भाई बना भाई का दुश्मन, ये तो बस आरम्भ था

कुरुक्षेत्र में खून बहा, वो युद्ध का प्रारम्भ था ||

प्रेम सीखाने वाला माधव आज रणभूमि का हिस्सा था

बना सारथि पार्थ का वो भी अलग किस्सा था ||

गंगा पुत्र भीष्म पे रचा ये षड्यंत्र था

शिखंडी का प्रयोग करके किया पाप को स्वतंत्र था ||

 जात, पात, ऊंच, नीच, करण इनका शिकार था

सूर्य पुत्र बहाया कुंती ने, वो उसी की किलकार था ||

एक पुत्र बलि चढ़ा के, अन्य को आबाद किया

ममता के उस एक वचन ने कौरवों को बर्बाद किया ||

पांडवों की जीत हुई, अंत था ये जंग का

फिर नया सूरज उगा, लाल नारंगी रंग का ||

महाभारत नाम इसका, इसमें हर भाव समाया है

इसके हर किस्से ने पीढ़ियों को जीना सिखाया है ||

 

                                                     -जष्मिता तंवर

Image by Tai's Captures

2. यादाश

 

 

आज अचानक यादों की अलमारी खुल गयी 
बीते कल में जाके में अपना आज भूल गयी 

याद है वो ज़माना जब  मैं और तुम  हम हुआ करते थे 
हमारी दुनिया से दूर सारे गम हुआ करते थे 

 

दूर रह के भी नज़दीकियों का अहसास होता था 
तू आँखों के सामने ना होके भी दिल के बहुत पास होता था 

 

तेरी हर चीज़ का ख्याल रखना सपना था मेरा 
तू ही कहता था ना मैं अपना हूँ तेरा 

 

तू चाहता था मेरे हर ख्वाब को पूरा करना 
और मेरा तुझे सही मान के तेरे बताए कदमो पे चलना 

 

याद आ रहे हैं वो सपने जो हमने साथ देखे थे 
सारी मुश्किलों का सामना करने के बाद देखे थे 

 

हाथ कभी ना छोड़ने की खाई थी कसमें 
आज मासुम दिल ने समझा वो थी सिर्फ बातें 

 

अंदाज़ा नहीं था की वक़्त की आंधी सब इस तरह ख़तम कर देगी 

हमारे हर सपने हर ख्वाब को इस कदर दफ़न कर देगी 

शायद मेरी हाथों की लकीरों में तेरा नाम नहीं है 
शायद तेरी ज़िन्दगी में मेरा कोई अहम काम नहीं है 

 

ना तू कसूरदार था ना मैं गुनेहगार 
किस्मत का खेल था, बन गए हम हालातों का शिकार 

 

बातें तो बहुत हैं पर शायद शब्द कम पड़ रहे हैं 
तुझे भूले तो नहीं हैं मगर ज़िन्दगी में आगे ज़रूर बढ़ रहे हैं 

                                                                  -जष्मिता तंवर

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